भोपाल गैस कांड: यूनियन कार्बाइड अधिकारियों पर लगाए गए आरोप सही, CBI ने अदालत में कहा

भोपाल गैस त्रासदी मामले में आरोपी यूनियन कार्बाइड अधिकारियों के खिलाफ दायर चार्जशीट को “दुर्भावनापूर्ण, झूठा और निराधार” बताने वाले पहले के दावे को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सख्ती से खारिज कर दिया है। भोपाल के प्रधान जिला न्यायाधीश की अदालत में दाखिल अपनी लिखित दलील में CBI ने कहा कि यह हादसा यूनियन कार्बाइड और उसके अधिकारियों की ‘जानबूझकर की गई लापरवाही’ का नतीजा था। CBI ने अपने 10 पन्नों के जवाब में कहा कि आरोपियों पर लगे आरोप 13 सितंबर 1996 को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर तय किए गए थे। इसलिए, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 464 के तहत पुनर्विचार (retrial) की मांग पर दाखिल आवेदन कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है। मामले में बचाव पक्ष की ओर से वकील अनिर्बान रॉय पेश हुए, जो यूनियन कार्बाइड के पूर्व अधिकारी जे. मुखुंद और एस. पी. चौधरी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ये दोनों उन सात आरोपियों में शामिल हैं, जिन्हें 7 जून 2010 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) अदालत ने 2 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। वर्तमान में, आरोपी अपनी सजा को चुनौती दे रहे हैं, जबकि CBI इन पर और कड़ी सजा की मांग कर रही है। CBI ने अदालत में बताया कि यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (UCC) को आर्थिक नुकसान हो रहा था और उसने अपना प्लांट ब्राजील/इंडोनेशिया शिफ्ट करने का फैसला किया। इसके चलते, भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के प्लांट का रखरखाव लापरवाही से किया गया, जो हादसे की बड़ी वजह बनी। CBI ने यह भी रेखांकित किया कि आरोपियों ने 26 जुलाई 1997 को चार्जशीट में त्रुटियों और अनियमितताओं को लेकर आवेदन दाखिल किया था, जबकि 29 अगस्त 1997 को उन पर आरोप तय किए गए। इसका मतलब है कि आरोपियों की आपत्तियों को अदालत ने आरोप तय करते समय पहले ही विचार में लिया था। CBI ने कहा कि दोषसिद्धि के बाद आरोपी स्वयं कानून के अनुसार मुकदमे का सामना करने पर सहमत हुए थे। एजेंसी ने तर्क दिया कि यह देखने के लिए कि कहीं ‘न्याय में विफलता’ तो नहीं हुई है, यह जरूरी है कि चार्जशीट की त्रुटियों से क्या वाकई आरोपियों को कोई वास्तविक नुकसान या पूर्वाग्रह हुआ। अदालत ने दो साल से बचाव पक्ष की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की है। अब CBI और भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन (BGIA) दोनों के लिखित जवाब आने के बाद, प्रधान जिला न्यायाधीश मनोज श्रीवास्तव ने बचाव पक्ष को 6 अक्टूबर 2025 को अंतिम दलीलें पेश करने का मौका दिया है। उसके बाद अदालत इस आवेदन पर फैसला सुनाएगी।

16 राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को मिली IAS कैडर में पदोन्नति

केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर राज्य प्रशासनिक सेवा के 16 अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में पदोन्नत किया है। इन अधिकारियों को वर्ष 2023 और 2024 बैच में आवंटित किया गया है। कुछ अधिकारियों की पदोन्नति पहले लंबित रखी गई थी क्योंकि उन पर जांच चल रही थी। हालांकि, जांच में क्लीन चिट मिलने के बाद अब उन्हें भी पदोन्नति प्रदान कर दी गई है। 2023 बैच में पदोन्नत होने वाले अधिकारी हैं – एन. पी. नामदेव, कैलाश बुंदेला, नंदा भलावे कुशरे, अनिल कुमार डामोर, सविता झानिया, सरिका भूरिया, कमल सोलंकी और जितेंद्र सिंह चौहान। 2024 बैच में शामिल अधिकारी हैं – संतोष कुमार टागोर, निशा दामर, राकेश कुशरे, शैली कनेश, रोहन सक्सेना, कविता भाटिया, सपना जैन और आशीष कुमार पाठक। बताया गया कि कुछ अधिकारियों को लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार करना पड़ा, जिसका असर उनकी वरिष्ठता पर भी पड़ा। हालांकि, पदोन्नति मिलने के बाद भी ये सभी अधिकारी अभी अपनी वर्तमान पदस्थापना पर ही बने रहेंगे।

‘गिफ्ट अ डेस्क’ अभियान: सीनी के बच्चों को मिल रही पढ़ाई में गरिमा, दुनियाभर से उमड़ा सहयोग

सीनी (मप्र)। ‘मोगली की धरती’ और पेंच टाइगर रिज़र्व के लिए मशहूर सीनी ज़िले में अब एक नई कहानी लिखी जा रही है। यहाँ हज़ारों बच्चे, जो अब तक फर्श पर बैठकर पढ़ाई करते थे, अब बेंच और डेस्क पर बैठकर पढ़ पा रहे हैं। यह संभव हुआ है 2015 बैच की IAS अधिकारी और कलेक्टर संस्कृति जैन द्वारा शुरू किए गए सामुदायिक अभियान ‘गिफ्ट अ डेस्क’ से। इस पहल ने देखते ही देखते वैश्विक रूप ले लिया। भारत ही नहीं, बल्कि जर्मनी और कनाडा जैसे देशों से भी लोग मदद के लिए आगे आए। जैन बताती हैं, “दशकों से बच्चे ज़मीन पर बैठकर कॉपी घुटनों पर रखकर पढ़ते थे। हमने सोचा कि अगर समुदाय को अपनी प्राथमिक स्कूलों से जोड़ा जाए तो हालात बदले जा सकते हैं।” पहले चरण में 1,367 प्राथमिक विद्यालयों की पहचान की गई, जहाँ कक्षा 1 से 5 तक 20 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। ज़रूरत करीब 20,347 बेंच-डेस्क की निकली। इसके बाद एक ओपन गूगल शीट बनाई गई, जिसमें स्कूलों के नाम, ज़रूरत और संपर्क नंबर दर्ज किए गए। कोई भी लॉग इन कर अपने पुराने स्कूल या किसी भी स्कूल के लिए बेंच दान कर सकता था। स्थानीय फर्नीचर निर्माताओं से बैठक कर एक बेंच-डेस्क सेट की कीमत 2,200 रुपये तय की गई ताकि पारदर्शिता बनी रहे। एक कॉल सेंटर भी बनाया गया ताकि दानदाताओं को मदद मिल सके। अब तक 704 स्कूलों को 10,000 से अधिक बेंच-डेस्क मिल चुके हैं और 1,000 और रास्ते में हैं। योगदान करने वालों में 13 NRI, जर्मनी और कनाडा के नागरिक, स्थानीय व्यापारी, पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। सीनी तहसील कार्यालय के कर्मचारियों ने मिलकर ही 120 बेंच दान किए। शिक्षकों का कहना है कि बेंच मिलने के बाद बच्चों की उपस्थिति और एकाग्रता में सुधार आया है। जैन ने कहा, “यह सिर्फ फर्नीचर नहीं, बच्चों को गरिमा देने का तरीका है। यह संदेश है कि वे यहाँ के हैं और उनकी शिक्षा मायने रखती है।” डिजिटल स्तर पर ज़िला ई-गवर्नेंस मैनेजर राहुल शिवहरे ने अभियान की रीढ़ का काम किया। गूगल शीट से लेकर कॉल सेंटर तक पारदर्शिता बनाए रखने में उनकी टीम अहम रही। जैन कहती हैं, “यह मेरे कार्यकाल का सबसे संतोषजनक प्रोजेक्ट है। डेस्क और बेंच देना ही लक्ष्य नहीं, बल्कि पढ़ाई को गरिमा लौटाना असली मक़सद है। जब तक लोग इस पर विश्वास करते रहेंगे, यह अभियान चलता रहेगा।”

करोंद चौराहे पर कांग्रेस का अनोखा प्रदर्शन, गड्ढों को बताया ‘चाँद की सतह’

भोपाल। शहर की जर्जर और बरसात से तबाह सड़कों को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रविवार को राजधानी के करोंद चौराहे पर अनोखा प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने सड़कों के गड्ढों की तुलना चाँद की सतह से की और इसे भाजपा सरकार की 22 साल की ‘कुशासन और भ्रष्टाचार’ की निशानी बताया। नेतृत्व कर रहे मनोज शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्री की पोशाक पहनकर पानी से भरे गड्ढों में उतरते हुए भाजपा के चुनाव-चिह्न ‘कमल’ के पोस्टर गाड़े। शुक्ला ने कहा, “भोपाल की सड़कों पर चाँद से ज्यादा गड्ढे हैं। कहीं भी वाहन चलाते समय सुरक्षा का अहसास नहीं होता।” प्रदर्शनकारियों ने नारेबाज़ी करते हुए आरोप लगाया कि राजधानी में ऐसा कोई कोना नहीं है, जहाँ सड़कें समतल हों और यात्री सुरक्षित महसूस करें। उन्होंने कहा कि हर साल करोड़ों रुपये सड़कों की मरम्मत के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन बरसात आते ही हालात वैसे ही हो जाते हैं। शुक्ला ने आगे आरोप लगाया कि सड़क निर्माण और मरम्मत के नाम पर खर्च की जाने वाली भारी-भरकम राशि का बड़ा हिस्सा नेताओं, अफसरों और ठेकेदारों की जेब में चला जाता है। उन्होंने बताया कि जिस करोंद सब्ज़ी मंडी के पास यह प्रदर्शन किया गया, वहाँ महज़ एक छोटे से हिस्से में ही लगभग 40 गड्ढे/क्रेटर मौजूद हैं।

Zakir Khan to Scale Back Touring, Cites Health Concerns

Stand-up comedian Zakir Khan has announced that he will be reducing his touring schedule to focus on his health. The 38-year-old shared the update with fans via Instagram, calling it a “difficult but necessary decision.” Khan, who has spent the past decade performing extensively across India, admitted that the relentless pace had taken a toll on his well-being. “I’ve been unwell for over a year but kept working because it felt necessary at the time,” he wrote, adding that while he loves being on stage, he can no longer ignore his health. The comedian confirmed that his upcoming Papa Yaar India tour will still go ahead, but on a much smaller scale. The tour, which begins on October 24, 2025, and concludes on January 11, 2026, will cover Vadodara, Ahmedabad, Delhi, Bengaluru, and Kolkata. Khan also addressed fans in Indore, clarifying that the city would not feature on the tour due to scheduling issues, but urged them to attend his performance in nearby Bhopal.

करोड़ों की संपत्ति चिन्हित, जब्त होगी: टिकमगढ़ के अवैध हथियार कारखानों के मास्टरमाइंड्स पर शिकंजा

क्राइम ब्रांच ने टिकमगढ़ में पकड़े गए दो अवैध हथियार कारखानों के मास्टरमाइंड्स की करोड़ों की संपत्ति चिन्हित कर ली है। अब पुलिस कानूनी प्रक्रिया अपनाकर इन संपत्तियों को जब्त करने की तैयारी कर रही है। जांच में सामने आया है कि आरोपी सुरेंद्र विश्वकर्मा और नरेंद्र परमार ने दशकों से चल रहे अवैध हथियार कारोबार के जरिए भारी संपत्ति अर्जित की। सुरेंद्र और उसके परिवार के पास 3 से 4 एकड़ जमीन, आठ दुकानें, एक ट्रैक्टर, एक लोडिंग वाहन और पांच लेथ मशीनें मिली हैं। वहीं, नरेंद्र परमार की संपत्ति इससे भी अधिक है — उसके पास 25 एकड़ कृषि भूमि और दो फार्महाउस हैं। एडिशनल डीसीपी (क्राइम) शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि अवैध कारोबार से अर्जित संपत्ति को जब्त कर सरकारी नियंत्रण में लिया जाएगा। पुलिस जांच से यह भी खुलासा हुआ है कि टिकमगढ़ और दतिया के अलावा यूपी के झांसी, ललितपुर, जालौन और हमीरपुर जिलों तक हथियारों की सप्लाई होती थी। कारोबार का नेटवर्क राजस्थान और बिहार तक फैला हुआ था, जिससे यह साबित होता है कि यह संगठित अंतरराज्यीय गिरोह है। गौरतलब है कि रविवार को क्राइम ब्रांच ने छापेमारी कर दो गुप्त हथियार फैक्ट्रियों का पर्दाफाश किया था। ये फैक्ट्रियां कृषि उपकरण वर्कशॉप के नाम पर चलाई जा रही थीं। एक फैक्ट्री चंदेरी के कुदिला गांव (कुदिला थाना क्षेत्र) और दूसरी रामगढ़ गांव (जतारा थाना क्षेत्र) में पाई गई। छापे में पांच पिस्टल, कच्चा माल और ऐसे उपकरण मिले, जिनसे करीब 1000 हथियार बनाए जा सकते थे। अब तक पुलिस सुरेंद्र, उसके साथी आनंदी और दो अन्य — सैफ अली और मुमताज अली — को गिरफ्तार कर चुकी है। हालांकि, दूसरा मास्टरमाइंड नरेंद्र परमार अभी फरार है। उसकी तलाश में झांसी समेत कई स्थानों पर पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं।

रेलवे ट्रैक पर युवक का शव 20 घंटे तक पड़ा रहा, जिम्मेदारी टालते रहे पुलिस विभाग

सागर जिले के बीना स्थित मलकहेड़ी स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर एक युवक का शव करीब 20 घंटे तक पड़ा रहा। आश्चर्य की बात यह रही कि घटना की जानकारी होने के बावजूद न तो जीआरपी (Government Railway Police) और न ही सिटी पुलिस ने कार्रवाई की। दोनों ने अपने-अपने क्षेत्राधिकार का हवाला देकर जिम्मेदारी टाल दी। मृतक की पहचान 28 वर्षीय राहुल अहिरवार, निवासी इंदिरा गांधी वार्ड, नई बस्ती के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, राहुल ने पहले शराब में एसिड मिलाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। परिजनों ने समय रहते उसे बचा लिया और अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन उसी दिन वह अस्पताल से निकल गया और शाम करीब 5 बजे रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया, जहां एक ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। स्थानीय लोगों और परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन जीआरपी और सिटी पुलिस दोनों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी। नतीजतन, राहुल का शव पूरी रात और अगली सुबह तक ट्रैक पर ही पड़ा रहा। अंततः परिजनों के दबाव के बाद दोपहर करीब 1 बजे सिटी पुलिस ने शव को ट्रैक से हटवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया, जिसके बाद अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। इस घटना ने पुलिस विभाग की लापरवाही और आपसी तालमेल की कमी को उजागर कर दिया है।

साइंस हाउस ग्रुप पर आयकर छापे की कार्रवाई पूरी, बड़े पैमाने पर सबूत मिले

भोपाल, इंदौर और मुंबई स्थित साइंस हाउस ग्रुप (SHG) के करीब 30 ठिकानों पर हुई आयकर विभाग की छापेमारी शुक्रवार को समाप्त हो गई। इस कार्रवाई को अब तक की साल की सबसे बड़ी रेड में से एक माना जा रहा है। छापों के दौरान टैक्स चोरी और फर्जी बिलिंग से जुड़े भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं। सूत्रों के अनुसार, जब्त डायरी और दस्तावेजों में जिन लोगों के नाम दर्ज हैं, उन्हें विभाग अब नोटिस जारी करेगा। इसके बाद संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी में कई बैंक लॉकरों का भी पता चला है, जिन्हें अगले सप्ताह खोला जा सकता है। जांच में सामने आया है कि ग्रुप ने टैक्स चोरी करने और अवैध तरीकों से अपनी नेटवर्थ बढ़ाने का काम किया। आयकर विभाग फिलहाल समूह के मालिक जितेंद्र तिवारी और उनके परिजनों के आयकर रिटर्न, बैंक खातों और लेन-देन की गहन जांच कर रहा है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुरू की ‘रीवाइल्डिंग’ पहल, वन्यजीव संतुलन बहाल करने की दिशा में कदम

भोपाल: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक अभिनव पहल ‘रीवाइल्डिंग’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य पारिस्थितिक संतुलन बहाल करना, विलुप्त और संकटग्रस्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करना तथा मध्य प्रदेश में जैव विविधता को बढ़ावा देना है। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्यक्रम अन्य राज्यों के लिए भी वन संरक्षण का एक मॉडल बनेगा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य पहले से ही कई प्रजातियों जैसे कि स्वैम्प डियर (बारहसिंगा) के पुनर्वास और पुनर्प्रवेश कार्यक्रम चला रहा है। वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके इन प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में बहाल किया जा रहा है। विज्ञप्ति में कहा गया है, “‘रीवाइल्डिंग’ का अर्थ है प्रकृति को उसके शुद्ध और मौलिक संतुलन में पुनर्जीवित करना। इसमें उन शिकारी और शिकार प्रजातियों को फिर से जंगलों में बसाना शामिल है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक हैं लेकिन अब लुप्त हो चुकी हैं। इनके बिना खाद्य श्रृंखला टूट जाती है और पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जाता है।” मध्य प्रदेश, जिसे ‘टाइगर स्टेट’ के नाम से जाना जाता है, जैव विविधता से समृद्ध है, लेकिन कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं। स्वैम्प डियर की संख्या लगातार घट रही है, वहीं बाघ और तेंदुए के बीच संतुलन भी बिगड़ रहा है। अधिकारियों का मानना है कि समय पर किया गया यह पुनर्स्थापन वनों के प्राकृतिक संतुलन को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।

Two Arrested for Extorting Tea Shop Owner at Knife-Point

Bhopal: Gautam Nagar police have arrested two men for allegedly threatening a tea shop owner with knives and demanding protection money. The accused, identified as Farhan of Kamal Nagar and Ayan alias Ayyu of Rajiv Colony, were found in possession of sharp-edged weapons. Complainant Deepak Tiwari, who runs a tea stall in Shiv Shakti Nagar, Chhola Mandir, reported that around 9.30 pm on Saturday the duo barged into his shop, abused him, and demanded ₹10,000 per month as protection money. They also pressured him to withdraw an earlier case and threatened to kill him if he refused. Police said both men have a history of criminal activity. Farhan faces previous charges under the Arms Act at Koh-e-Fiza and Nishatpura police stations, while Ayan has serious cases registered against him in Nishatpura and Gautam Nagar. Both accused were produced in court on Monday for further legal proceedings.

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