भोपाल में आवारा कुत्तों की संख्या पर काबू पाना चुनौती, नसबंदी केंद्रों का अभाव बना बड़ी समस्या

भोपाल नगर निगम (BMC) की सीमित नसबंदी क्षमता के कारण राज्य की राजधानी में हर साल लगभग 40,000 नए कुत्तों की बढ़ोतरी हो रही है, जबकि आवारा कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के लिए लक्षित प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल नगर निगम के पास केवल तीन एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर हैं, जो मिलकर हर साल करीब 22,000 नसबंदी करते हैं। विशेषज्ञ मानकों के अनुसार, 85 वार्ड वाले भोपाल में कम से कम नौ नसबंदी केंद्र होने चाहिए, ताकि आवारा कुत्तों की संख्या पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण पाया जा सके। बीएमसी का कहना है कि दिसंबर 2024 में 15 करोड़ रुपये की लागत से नौ एबीसी सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। सामान्य शहरी योजना के मुताबिक, हर 10 शहरी वार्ड पर एक एबीसी सेंटर की आवश्यकता होती है, जबकि भोपाल में केवल तीन ही हैं। अनुमानित रूप से शहर में करीब 1.2 लाख आवारा कुत्ते हैं, जिनमें से लगभग 60,000 प्रजनन करने में सक्षम हैं। बीएमसी के तीन एबीसी केंद्रों में हर साल लगभग 20,000 नसबंदी होती है। उच्च मृत्यु दर के बावजूद, पिल्लों में से लगभग 10% ही जीवित रहते हैं, फिर भी हर साल करीब 60,000 नए कुत्ते बढ़ जाते हैं। इनमें लगभग 30,000 मादा कुत्ते हैं, जो साल में चार से दस पिल्लों को जन्म दे सकती हैं। नसबंदी अभियान इस बढ़ोतरी को रोकने के लिए चलाए जाते हैं, लेकिन नगरपालिका के आंकड़े बताते हैं कि फिर भी शुद्ध वार्षिक बढ़ोतरी करीब 40,000 कुत्तों की होती है। दिलचस्प बात यह है कि प्रस्ताव में बीएमसी ने केरवा-कालियासोत क्षेत्र को नसबंदी के लिए प्राथमिकता दी है, क्योंकि वहां जंगली जानवरों और कुत्तों के बीच टकराव की घटनाएं होती हैं। हालांकि, इस प्राथमिकता से शहर में बच्चों और शिशुओं पर कुत्तों के हमलों की समस्या से ध्यान भटकने की आशंका है।

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर बैन की समीक्षा करेंगे CJI बी.आर. गवई

दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश पर उठे विवाद के बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने मामले की पुनः समीक्षा का आश्वासन दिया है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को बढ़ते कुत्ता काटने और रेबीज़ मामलों को देखते हुए सभी आवारा कुत्तों को आवासीय क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया था, जिस पर समाज के अलग-अलग वर्गों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं। जहां एक ओर रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों (RWAs) ने इस फैसले का स्वागत किया, वहीं पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि नगर निगमों के पास इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को शिफ्ट करने के लिए पर्याप्त संसाधन और धन नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश के सामने आज यह मुद्दा उठाया गया और उन्हें पूर्व के उस आदेश की जानकारी दी गई, जिसमें आवारा कुत्तों के विस्थापन और हत्या पर रोक लगाते हुए मौजूदा कानूनों का पालन अनिवार्य किया गया था। इस पर CJI ने कहा, “मैं इस पर गौर करूंगा,” जिससे हजारों पशु प्रेमियों की उम्मीदें बढ़ गईं। उल्लेखनीय है कि मई 2024 में जस्टिस जे.के. महेश्वरी की पीठ ने इसी तरह की याचिकाओं को हाई कोर्ट भेजते हुए कहा था कि “सभी जीवों के प्रति करुणा दिखाना संवैधानिक मूल्य है”। वहीं सोमवार का आदेश जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने पारित किया था, जिन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर कहा कि बढ़ते कुत्ता काटने के मामलों को रोकने के लिए आवासीय इलाकों को “डॉग-फ्री” बनाना ज़रूरी है। जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “यह कदम हमारे लिए नहीं, बल्कि जनहित में है। इसमें किसी भी तरह की भावनात्मक अपील को स्थान नहीं दिया जाएगा और जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए।” इस आदेश के बाद राजनीतिक हस्तियों से लेकर फिल्मी सितारों तक कई लोगों ने इसका विरोध किया। अभिनेता जॉन अब्राहम ने CJI को एक आपात अपील भेजी, वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने इसे “अव्यावहारिक”, “वित्तीय रूप से असंभव” और “पर्यावरणीय संतुलन के लिए हानिकारक” करार दिया। पशु अधिकार संगठन पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने भी इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर विस्थापन न तो वैज्ञानिक है और न ही प्रभावी। PETA इंडिया की सीनियर डायरेक्टर ऑफ वेटरिनरी अफेयर्स डॉ. मिनी अराविंदन ने कहा, “समुदाय अपने मोहल्ले के कुत्तों को परिवार की तरह मानते हैं। उनका विस्थापन और कैद करना कभी सफल नहीं हुआ है और इससे न तो कुत्तों की आबादी कम होगी, न रेबीज़ के मामले घटेंगे और न ही कुत्ता काटने की घटनाएं रुकेंगी।”

सेवानिवृत्त IAS अधिकारी के बेटे पर दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज, पत्नी से ₹30 लाख की मांग और मारपीट का आरोप

भोपाल के कोलार क्षेत्र स्थित डेनिश कुंज की अवंतिका होम्स कॉलोनी में रहने वाली एक महिला ने अपने पति कालरव श्रीवास्तव के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और मारपीट का गंभीर आरोप लगाया है। कालरव, एक सेवानिवृत्त IAS अधिकारी का बेटा है। पीड़िता की शिकायत पर महिला थाना पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, पीड़िता की शादी वर्ष 2024 में कालरव श्रीवास्तव से हुई थी। शुरुआती कुछ महीने सामान्य रहे, लेकिन शादी के चार महीने बाद ही पति ने ₹30 लाख अतिरिक्त दहेज की मांग शुरू कर दी। महिला ने बताया कि शादी के समय दहेज की मांग पूरी की गई थी, फिर भी ससुराल वालों की लालच भरी मांगें जारी रहीं। जब महिला ने अतिरिक्त दहेज लाने से इनकार किया, तो उसके पति ने न सिर्फ मारपीट की, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। पीड़िता ने यह भी बताया कि उसे लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जो लगभग छह महीने तक चलता रहा। आख़िरकार, जब स्थिति असहनीय हो गई, तो उसने अपने परिवार को पूरी घटना की जानकारी दी। परिजनों के सहयोग से महिला ने महिला थाने पहुंचकर आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने महिला के बयान के आधार पर IPC की दहेज प्रताड़ना और आपराधिक धमकी से संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया है। अधिकारी ने बताया कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और जल्द ही साक्ष्य के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

Nationwide Outrage Over Arrest of Two Kerala Nuns on Human Trafficking and Conversion Charges

Widespread protests erupted across Kerala and New Delhi on Monday over the arrest of two Catholic nuns at Durg Railway Station in Chhattisgarh, with both ruling and opposition political parties in Kerala denouncing the charges as false and communally motivated. Sister Vandana Francis and Sister Preeta Mary, belonging to the Assisi Sisters of Mary Immaculate (ASMI), were arrested on July 25 on charges of kidnapping, human trafficking, and forced religious conversion. The arrests followed a confrontation at the station allegedly initiated by Bajrang Dal activists, who accused the nuns of attempting to convert three women — including an Adivasi minor — by taking them to Agra. Bipartisan Political Backlash in Kerala and Delhi In an unusual show of unity, Members of Parliament from both the Left Democratic Front (LDF) and the United Democratic Front (UDF) from Kerala staged a joint protest outside Parliament, calling the arrests “trumped-up” and a manifestation of rising anti-minority sentiment in BJP-ruled states. UDF MPs carried placards accusing the Bajrang Dal of staging a kangaroo court, and condemned the Chhattisgarh police for acting under political pressure by placing the nuns in judicial custody without proper investigation. Government Responses and Legal Status Union Minister of State for Minority Affairs George Kurian stated that the matter is currently sub judice, but assured the media that BJP’s Kerala unit and the Catholic Bishops’ Conference of India (CBCI) are working toward securing an early resolution. BJP leader Rajeev Chandrasekhar is reportedly in talks with both central and state authorities. In Parliament, Rajya Sabha MP John Brittas (LDF) moved an adjournment notice demanding an urgent debate on the “unjust” arrests and wrote directly to Chhattisgarh Chief Minister Vishnu Deo Sai, seeking the immediate release of the nuns. Statewide Reactions and Religious Concerns Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan sent a formal letter to Prime Minister Narendra Modi, urging intervention and justice for the detained nuns. Leader of the Opposition V.D. Satheesan visited the family of Sister Preeta Mary and criticized the arrests as “arbitrary and fascist,” warning that Christian clergy now fear openly expressing their faith in BJP-governed states. “There is a climate of fear. Many priests and nuns now refrain from wearing their habits in public. Even Christmas and Easter celebrations are held in secrecy,” Satheesan remarked, calling the BJP in Kerala “a wolf in sheep’s clothing.” Church Media and Clergy React Deepika, the official mouthpiece of the Syro-Malabar Church, published a sharp editorial criticizing the BJP’s duplicity — courting Christians in Kerala while allowing Sangh Parivar groups to harass them elsewhere. The editorial also claimed that incidents of violence against Christians have increased since 2014, when the BJP came to power. Yuhanon Mar Meletius, Metropolitan of the Orthodox Syrian Church, took a subtle jab on social media, suggesting that another “honouring” of church leaders by the Prime Minister in Delhi — a reference to the 2023 Easter Day meeting with Christian clergy — might be used as a tactic to mute dissent. Kerala Ministers Call Out Silence of Church Leadership Kerala General Education Minister V. Sivankutty criticized the Church leadership for not openly condemning the arrests. “Mere prayers won’t fix the hostile environment minorities face. Church leaders must speak truth to power,” he said. Excise Minister M. B. Rajesh warned that any alliance with the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) is misguided. “The RSS views Muslims, Christians, and communists as internal enemies. Some must awaken to this reality before it’s too late,” he said. VHP Defends Arrests, Claims Underage Victim Involved In response to the backlash, Vishwa Hindu Parishad (VHP) Kerala general secretary Anil Vilayil defended the arrests, alleging that the CBCI was concealing facts, and that the women accompanying the nuns included an underage tribal girl, a key point in the police case. As legal proceedings unfold, the case is expected to become a flashpoint in the ongoing national debate around religious freedom, minority rights, and the role of law enforcement in communally sensitive situations.

Top Lashkar Terrorists Killed in Operation Mahadev; Shah Confirms Role in Pahalgam Attack

Union Home Minister Amit Shah confirmed in Parliament that three top terrorists from the Pakistan-based proscribed group Lashkar-e-Taiba were eliminated in Operation Mahadev, launched in response to the Pahalgam terror attack in Jammu and Kashmir. The key mastermind was identified as Suleiman, while the other two were named Afghan and Jibran. Reports of their deaths surfaced after an intense encounter near Srinagar on Monday. However, their involvement in the Pahalgam attack was officially confirmed only on Tuesday. Shah revealed that the National Investigation Agency (NIA) had already arrested individuals who had sheltered the terrorists. “The arrested individuals were shown the bodies and identified them as the ones involved in the Pahalgam attack,” Shah said. To ensure foolproof confirmation, forensic tests were conducted on the bullet shells recovered from the Pahalgam attack site. The guns seized from the terrorists during Operation Mahadev were sent overnight to a lab in Chandigarh, where ballistic analysis confirmed that the ammunition matched the crime scene. “That confirmed their identities even further, and we were convinced,” Shah added. He stated that Operation Mahadev was launched the same night as the Pahalgam incident. The encounter on Monday began around 11 am, when a joint team of the Army, paramilitary forces, and police detected terrorist movement in the Mulnar area of Harwan, near Srinagar. Acting swiftly, the security forces engaged in a heavy exchange of fire in the Lidwas forested region, resulting in the elimination of all three terrorists. The success of Operation Mahadev is being seen as a major breakthrough in counter-terrorism efforts in the Kashmir Valley.

दिल्ली में लूट का मामला: BSF का कांस्टेबल गिरफ्तार, शिवपुरी से हुई गिरफ्तारी

दिल्ली पुलिस ने एक ज्वेलरी शॉप में हुई लूट के मामले में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक कांस्टेबल को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी की पहचान गौरव यादव (22) के रूप में हुई है, जो मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले का निवासी है। गौरव ने 2023 में BSF में भर्ती ली थी और मई 2025 में अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी। शाहदरा जिले के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि यादव की पोस्टिंग पंजाब के फाजिल्का में थी। “18 जून को, लूट की घटना से एक दिन पहले, उसने छुट्टी ली और दिल्ली आया। यहां ट्रेन बदलने के दौरान उसने वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई,” उन्होंने कहा। यह घटना 19 जून को पूर्वी दिल्ली के फर्श बाजार स्थित एक आभूषण दुकान में हुई थी। एक व्यक्ति दुकान में घुसा और पिस्तौल जैसी वस्तु दिखाकर चार सोने की चूड़ियां लूट कर फरार हो गया। पुलिस ने तकनीकी निगरानी करते हुए कई CCTV फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR), इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (IPDR) डंप डेटा का विश्लेषण किया। साथ ही, नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) पर भी कई जानकारियां जुटाई गईं। डीसीपी ने बताया कि लगातार प्रयासों और विस्तृत जांच के बाद आरोपी की पहचान BSF कांस्टेबल के रूप में हुई। इसके बाद पुलिस टीम ने शिवपुरी स्थित उसके गांव में छापेमारी कर उसे गिरफ्तार किया।

बागसेवनिया पुलिस ने पकड़े दो शातिर वाहन चोर, ₹2 लाख की चोरी की बाइकें बरामद

बागसेवनिया पुलिस ने रविवार को दो वाहन चोरों को गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से ₹2 लाख कीमत की चोरी की मोटरसाइकिलें बरामद कीं। पुलिस के अनुसार, आरोपी चोरी की बाइकें फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए दूरदराज के इलाकों में बेचते थे। एडिशनल डीसीपी ज़ोन-2 महावीर सिंह मुजालदे ने बताया कि क्षेत्र में लगातार हो रही बाइक चोरी की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया गया था। टीम ने चोरी की घटनाओं के आस-पास के इलाकों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले और तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बाइक चोरी की वारदातों को कबूल कर लिया। वे सुनसान जगहों और भीड़भाड़ वाले बाज़ारों से बाइक चोरी करते थे। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गुलशन चंदेलकर (20) निवासी बैतूल, मनोहर मेहरा (20) निवासी रायसेन, और भगवान सिंह मेहरा (20) निवासी धार के रूप में हुई है। आरोपी मास्टर चाबी की मदद से बाइक के लॉक खोलकर उन्हें चुरा लेते थे। पुलिस ने इनके कब्जे से तीन चोरी की बाइकें बरामद की हैं। एक बाइक उस वक्त चुराई गई जब उसका मालिक हबीबगंज नाका के पास सड़क किनारे पेशाब करने रुका था, जबकि दूसरी बाइक AIIMS अस्पताल की पार्किंग से चोरी की गई थी। फिलहाल आरोपियों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।

12 साल से ड्यूटी पर नहीं आया सिपाही, फिर भी मिलती रही सैलरी; लापरवाही पर जांच शुरू

हाल ही में सामने आए एक चौंकाने वाले मामले में पता चला है कि एक पुलिस सिपाही पिछले 12 वर्षों से घर पर बैठकर वेतन ले रहा था, जबकि उसकी ड्यूटी पर कभी मौजूदगी दर्ज ही नहीं हुई। मामले के सामने आने के बाद एक एसीपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, यह लापरवाही तब उजागर हुई जब पुलिस महानिदेशक (DGP) ने लंबे समय से एक ही थाने या कार्यालय में तैनात पुलिसकर्मियों के तबादले के आदेश दिए। इसके साथ ही सभी पुलिसकर्मियों का विवरण डिजिटल करने के निर्देश भी दिए गए। इसी प्रक्रिया में यह गंभीर चूक सामने आई। विदिशा जिले से ताल्लुक रखने वाला यह सिपाही वर्ष 2011 में पुलिस सेवा में भर्ती हुआ था। प्रशिक्षण के बाद उसे पुलिस लाइन भेजा गया और कुछ समय बाद सागर में आगे की ट्रेनिंग के लिए उसका ट्रांसफर किया गया। उस समय के प्रभारी अधिकारी ने उसका सेवा रिकॉर्ड उसे सौंप दिया और सागर भेज दिया। लेकिन सिपाही ने सागर रिपोर्ट नहीं किया और किसी कारणवश अपने घर लौट गया। उसने अपना सेवा रिकॉर्ड स्पीड पोस्ट के माध्यम से वापस पुलिस लाइन भिजवा दिया, जिसे संबंधित अधिकारियों ने रिसीव कर लिया। इसके बाद किसी भी अधिकारी ने न तो उसकी पोस्टिंग की जानकारी ली और न ही उसके गैरहाजिर रहने पर ध्यान दिया। इतने वर्षों में सिपाही की उपस्थिति दर्ज किए बिना ही उसके बैंक खाते में नियमित वेतन भेजा जाता रहा। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस दौरान सैलरी के रूप में कई लाख रुपये ट्रांसफर हुए हैं, जिन्हें अब वसूला जाएगा। डीसीपी मुख्यालय श्रद्धा तिवारी ने जानकारी दी कि इस पूरे मामले की जांच एसीपी टीटी नगर अंकिता खतरकर के नेतृत्व में की जा रही है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद सिपाही के साथ-साथ इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

भोपाल में फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पर लगेगी लगाम, नगर निगम चस्पा करेगा बारकोड और सैंपल सर्टिफिकेट

फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों के ऑनलाइन प्रसार को लेकर की रिपोर्ट के बाद, भोपाल नगर निगम (BMC) ने त्वरित एक्शन लिया है। अब नागरिकों को असली और नकली प्रमाण पत्र की पहचान में मदद के लिए सभी निगम कार्यालयों के बाहर बारकोड स्टिकर और सैंपल प्रमाण पत्र चस्पा किए जाएंगे। यह पहल आम जनता को यह समझने में मदद करेगी कि उनके पास जो प्रमाण पत्र है – या जो वे बनवाने जा रहे हैं – वह असली है या नहीं। यह कदम तब उठाया गया जब निगम के जन्म-मृत्यु शाखा में एक फर्जी जन्म प्रमाण पत्र सामने आया। जब उस सर्टिफिकेट को निगम के आधिकारिक पोर्टल से स्कैन किया गया, तो पता चला कि वह एक फर्जी वेबसाइट से जुड़ा है। हैरानी की बात यह रही कि उस फर्जी प्रमाण पत्र पर पंजीयक (Registrar) के डिजिटल हस्ताक्षर की हूबहू नकल भी मौजूद थी। इस धोखाधड़ी की पुष्टि होने के बाद, निगम ने गोविंदपुरा थाने में शिकायत दर्ज कराई है। अधिकारियों को संदेह है कि ऐसे और भी फर्जी प्रमाण पत्र बनाए और वितरित किए गए होंगे, संभवतः दलालों की मदद से। कैसे काम करेगी यह व्यवस्था जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा के रजिस्ट्रार सत्यप्रकाश बड़गैया ने बताया,“गलत इस्तेमाल को रोकने और नागरिकों को जागरूक करने के लिए हम जल्द ही सभी कार्यालयों के बाहर वास्तविक प्रमाण पत्र के नमूने और स्कैनेबल बारकोड लगाने जा रहे हैं। इससे आमजन को फर्जी और असली सर्टिफिकेट के बीच का अंतर समझने में आसानी होगी।” उन्होंने कहा कि निगमायुक्त से औपचारिक अनुमति मिलते ही यह कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। यह कदम नागरिक सेवाओं में पारदर्शिता लाने और दस्तावेजों की सत्यता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।

मेघालय हनीमून मर्डर केस: पति की हत्या के बाद सोनम रघुवंशी ने हत्यारों को दिए ₹20 लाख, प्रेमी राज कुशवाहा भी साजिश में शामिल

मेघालय पुलिस ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि सोनम रघुवंशी ने अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या की साजिश रचने के बाद कॉन्ट्रैक्ट किलर्स को ₹20 लाख की भारी रकम दी। पुलिस का कहना है कि हत्या के समय सोनम ने पति के पर्स से ₹15,000 निकालकर हत्यारों को मौके पर ही दे दिए थे। राजा और सोनम की शादी 11 मई को हुई थी, और वे 21 मई को हनीमून पर मेघालय पहुंचे थे। 23 मई को दोनों के लापता होने की खबर सामने आई थी। 2 जून को राजा का शव पूर्वी खासी हिल्स जिले के सोहरा में एक झरने के पास खाई में मिला। जांच में सामने आया कि हत्या उसी दिन यानी 23 मई को हुई थी। सोनम को मंगलवार को उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह खुद पुलिस के सामने पेश हुई थी। उसी रात उसे पटना, फिर कोलकाता और गुवाहाटी होते हुए शिलांग लाया गया। उसकी गिरफ्तारी एक दिन बाद हुई जब प्रेमी राज कुशवाहा और तीन संदिग्ध हत्यारों को मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से पकड़ा गया। हत्या की साजिश और घटनाक्रम का खुलासामेघालय पुलिस और इंदौर से पहुंचे अधिकारियों की जांच में सामने आया कि सोनम ने कथित प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर हत्या की योजना बनाई थी। कुशवाहा ने पुलिस को बताया कि उसने आखिरी समय में योजना से खुद को अलग कर लिया था और मेघालय नहीं गया, लेकिन सोनम ने तीन अन्य लोगों के टिकट बुक कर दिए थे। पुलिस अधिकारी ने कहा, “कुशवाहा ने दावा किया है कि उसने हत्यारों को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन वे मेघालय घूमने के लिए चले गए। वहां पहुंचने पर भी उन्होंने हत्या से इनकार किया, लेकिन सोनम ने ₹15 लाख का लालच देकर हत्या के लिए राज़ी किया।” हत्या कैसे की गई—हत्यारों का बयानपुलिस को दिए बयान में आरोपियों ने बताया कि सोनम ने रास्ते में थकान का नाटक किया और राजा को एक सुनसान जगह ले जाकर पीछे से हमला करने का इशारा दिया। राजा की हत्या धारदार हथियार ‘दाओ’ से की गई। एफआईआर में साफ तौर पर लिखा है कि हत्या के बाद राजा के कीमती सामान भी ले लिए गए। घटना का क्राइम सीन रिक्रिएशन और आगे की जांचपुलिस अब सोनम, कुशवाहा और तीनों कथित हत्यारों को घटनास्थल पर ले जाकर पूरे घटनाक्रम की पुनरावृत्ति कराना चाहती है, ताकि सभी बयानों का मिलान किया जा सके। पुलिस को शक है कि हत्या की योजना पहले से तैयार थी और पूरी घटना को पर्यटक बनकर अंजाम दिया गया। निष्कर्षयह केस पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है, जहां एक नवविवाहिता ने अपने पति की हत्या में प्रेमी और कॉन्ट्रैक्ट किलर्स के साथ मिलकर साजिश रची। पुलिस ने कहा है कि वे इस मामले की तह तक जाएंगे और सभी साक्ष्यों के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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